डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 78 – साहित्य निकुंज ☆
☆ कविता – स्वराज्य ☆
स्वराज्य हमारा नारा है
वतन जान से प्यारा है
झंडा ऊंचा सदा रहे
पावन नदियां की जलधार बहे
वतन जान से प्यारा है
स्वराज्य हमारा नारा है
स्वराज्य हमारा है स्वाभिमान
तिरंगा हमारी आन बान और है शान
देश बचाते शहीद हमारे
सीने पर गोली वह खाते
जान गंवाते माँ के दुलारे
तिरंगे का बढ़ाते हैं मान
हमारा गणतंत्र है महान
वतन जान से प्यारा है.
स्वराज्य हमारा नारा है
शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ाते
भारत माँको शीश नवाते
उन वीरों को है शत शत नमन
रोशन हुए वे बने चमन
वतन जान से प्यारा है
स्वराज्य हमारा नारा है
जीते हैं हर वर्ष ऐतिहासिक पल
दिखाते हैं सैन्य दल अपना बल
आओ तिरंगे को लहराए
अपना गणतंत्र हम मनाएं
खुशी से झूमे नाचे गाए
वतन जान से प्यारा है
स्वराज्य हमारा नारा है।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈