प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी की एक भावप्रवण कविता “हिंसा से कभी न होती कोई समस्या दूर“। हमारे प्रबुद्ध पाठक गण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 26 ☆
☆ हिंसा से कभी न होती कोई समस्या दूर ☆
मन में कुछ है, मुंह में कुछ है, कैसे बात बने ?
समय गुजरता जा रहा है और नाहक तने तने ।
हल न समस्या का निकला कोई आपस में लड़ते
नये नए मुद्दे और उलझते जाते दिन बढते
भिन्न बहाने करते प्रस्तुत, मन में है दुर्भाव
कई कारणों से बढता आया द्वेष दुराव ।
हिंसा से कब मिला कभी भी कोई सार्थक हल
और समस्या बढती जाती नई-नई प्रतिपल
हल पाने होती जब भी है मन में में सच्ची चाह
आपस में सद्भाव समन्वय से मिल जाती राह
मन में मैल जहाँ भी होता, होती ही नित भूल
सोच अगर सीधी सच्ची हो तो खिलते हैं नित फूल
हिंसा से हुई कभी न होती कोई समस्या दूर
जहां अहिंसक भाव है मन में वहीं शान्ति भरपूर
मन को स्वतः टटोलो अपना और करो वह बात
देश के निर्दोषी लोगों को हो न कोई व्याघात
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈