महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.३०॥ ☆

 

वेणीभूतप्रतनुसलिला ताम अतीतस्य सिन्धुः

पाण्डुच्चाया तटरुहतरुभ्रंशिभिर्जीर्णपर्णैः

सौभाग्यं ते सुभग विरहावस्थया व्यञ्जयन्ती

कार्श्यं येन त्यजति विधिना स त्वयैवोपपाद्यः॥१.३०॥

वेणि सृदश क्षीण सलिला वराकी

सुतनु पीत जिसका पके पत्र दल से

विरह में तुम्हारे , सुहागिन तुम्हारी

तजे क्षीणता दो उसे पूर जल से

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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