श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है जिंदगी की हकीकत बयां करती एक भावप्रवण कविता “गणतंत्र दिवस”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 27 ☆
☆ गणतंत्र दिवस विशेष – आओ गणतंत्र दिवस मनाये ☆
26 जनवरी हमारे महान
गणतंत्र का पावन पर्व है
हमें हमारें संविधान पर
अत्यंत गर्व है
इसी दिन लागू हुआ था
यह महान संविधान
जिसके सपने देख रहा था
हर इंसान
गणतंत्र का अर्थ ही है
जनता के लिए
जनता द्वारा शासन
जनता की भागीदारी से
प्रशासन
जब सबको मिला पूर्ण स्वराज
ना किसी धर्म ना
किसी समुदाय का राज
सबने खुशियाँ बांटी
मिठाईयां बांटी
नाच रहा था हर व्यक्ति
और हर समाज
सबको मिले अपने अधिकार
शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार
कहीं भी कर सकते हो व्यापार
सारा देश बना एक घर-बार
मिली अभिव्यक्ति की आज़ादी
पढ़ने-लिखने की आज़ादी
सुनने की, कहने की आज़ादी
न्याय पाने की,
ना कहने की आज़ादी
अब यह कैसा काल है आया
उमंगों पर मातम है छाया
जिव्हा पर ताले लगे हैं
आंखों में है एक डर समाया
आलोचना अपराध हो गया
सत्य कहना पाप हो गया
यह बलिदानों से मिली आजादी
क्या हम सबके लिए
श्राप हो गया ?
मिलकर इन जंजीरों को तोड़े
दिग्भ्रमित है बस कुछ थोड़े
हम सब है भाई-भाई
चलो संविधान से नाता जोड़े
आओ गणतंत्र दिवस मनाये
हर दुःखी पिड़ीत को गले लगाये
प्यार बांटे, खुशीयां बांटे
हर चेहरे पर मुस्कान लाये ।
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈