महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.३४॥ ☆

 

प्रद्योतस्य प्रियदुहितरं वत्सराजो ऽत्र जह्रे

हैमं तालद्रुमवनम अभूद अत्र तस्यैव राज्ञः

अत्रोद्भ्रान्तः किल नलगिरिः स्तम्भम उत्पाट्य दर्पाद

इत्य आगन्तून रमयति जनो यत्र बन्धून अभिज्ञः॥१.३४॥

 

प्रद्योत की प्रिय सुता का , हरण

था यहां पर हुआ वत्स नरराज द्वारा

यहां ताल तरु का लगा बाग था

स्वर्ग निर्मित उसी भूप का , ख्यातिवाला

मदमस्त गजराज नलगिरि कभी

यहां भटका , यहां एक खम्भा उखाड़ा

आगत जनों को जहां विज्ञजन

यों सुनाते कथा , ले विगत का सहारा

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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