श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है जिंदगी में प्रेम की हकीकत बयां करती एक भावप्रवण कविता “प्रेम खुदा की नेमत है”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 30 ☆
☆ प्रेम खुदा की नेमत है ☆
ओस की बूंदों सा
वो नाज़ुक पल
प्यासी आंखों को
मृगतृष्णा का छल
तपती धरा को
तृप्त करता जल
कांपती दों फांकों पर
वो चुंबन निश्चल
ये प्रेम नहीं तो क्या है ?
प्रेम ही तो है !
भोर का रात से
रोज मिलने का वादा
अनछुई किरणों का
क्षितिज छूने का इरादा
पुष्परज लुटाता वो
प्रणय का राजा
अल्हड इठलाती बेलोसें
समीर का जुड़ा हुआ धागा
ये प्रेम नहीं तो क्या है ?
प्रेम ही तो है !
वर्षा ऋतु में
नाचते मयूर का
चांदनी रात में
युगों से प्यासे चकोर का
रातरानी के तने से
लिपटे भुजंग का
उसकी लगन में मस्त
मतवाले मलंग का
ये प्रेम नहीं तो क्या है ?
प्रेम नहीं तो क्या है !
पर अब-
प्रेम सियासत का अंग है
प्रेम पर हो रही जंग है
प्रेमियों पर सख्त पहरे है
लव जिहाद के
कानून काफी गहरे हैं
कैसे समझाए-
प्रेम किया नहीं जाता
हो जाता है
प्रेमी युगल अपनी
सुध-बुध खो जाता है
एक लौ हृदय में जलती है
मिल जाए तो खुशी
नहीं तो-
सारा जीवन एक टीस
हृदय में पलती है
दोस्तों,
प्रेम खुदा की नेमत है
प्रेम पर पाबंदी,
खुदा से नफ़रत है।
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈