महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.६३॥ ☆
उत्पश्यामि त्वयि तटगते स्निग्धभिन्नाञ्जनाभे
सद्यः कृत्तद्विरददशनच्चेदगौरस्य तस्य
शोभाम अद्रेः स्तिमितनयनप्रेक्षणीयां भवित्रीम
अंसन्यस्ते सति हलभृतो मेचके वाससीव॥१.६३॥
होगी वहाँ , तीर पहुंचे तुम्हारी
कज्जल सृदश श्याम स्निग्ध शोभा
ताजे तराशे द्विरददंत सम गौर
गिरि वह वहाँ और अति रम्य होगा
तो कल्पना में बँधी टक नयन से
मधुर रम्य दृष्टव्य शोभा तुम्हारी
मुझे दीखती , ज्यों गहन नील रंग की
लिये स्कंध पर शाल बलराभ भारी
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈