महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.५॥ ☆
यस्यां यक्षाः सितमणिमयान्य एत्य हर्म्यस्थलानि
ज्योतिश्चायाकुसुमरचितान्य उत्तमस्त्रीसहायाः
आसेवन्ते मधु रतिफलं कल्पवृक्षप्रसूतं
त्वद्गम्भीरध्वनिषु शनकैः पुष्करेष्व आहतेषु॥२.५॥
जहाँ के भवन उच्च मणिमय प्रभा से
नक्षत्र छाया कुसुम से सुहावन
जहाँ सुन्दरी के सहायक सभी यक्ष
तुम सम कुशल नाद कर चित्त भावन
बजाते समय वाद्य रतिफल सुरा स्वाद
का ले चषक मोद आल्हादकारी
रतिफल रसास्वाद जो कल्पद्रुम से
सदा प्राप्त करते सभी रस बिहारी
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈