महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.२९॥ ☆
पादान इन्दोरमृतशिशिराञ्जलमार्गप्रविष्टान
पूर्वप्रीत्या गतमभुमुखं संनिवृत्तं तथैव
चक्षुः खेदात सलिलगुरुभिः पक्ष्मभिश्चादयन्तीं
साभ्रेऽह्नीव स्थलकमलिनी न प्रभुद्धां न सुप्ताम॥२.२९॥
प्रविशती हुई देखकर जालियो से
सुधा सृदश शीतल सुखद चंद्र किरणे
परिचित पुराने सुखद अनुभवो से
मुर उस तरफ पर तुरत मूंद अलकें
अति खेद से अश्रुजल से भरे नैन
मुंह फेरती क्लांत मेरी प्रिया को
लखोगे घनाच्छन्न दिन में धरा पर
न विकसित न मुद्रित कमलनी यथा हो
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈