महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.३२॥ ☆
सा संन्यस्ताभरणम अबला पेशलं धारयन्ती
शय्योत्सङ्गे निहितम असकृद दुःखदुःखेन गात्रम
त्वाम अप्य अस्रं नवजलमयं मोचयिष्यत्य अवश्यं
प्रायः सर्वो भवति करुणावृत्तिर आर्द्रान्तरात्मा॥२.३२॥
जो भूषण विहीना गहन दुख क्षीणा
सुनिकटस्थ शैय्या मृदुल गात्रवाली
तुम्हें देख फिर नयन आंसू भरेगी
मृदुद हृदय घन ! अति दयावान भारी
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈