महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.३४॥ ☆

 

रुद्धापाङ्गप्रसरम अलकैर अञ्जनस्नेहशून्यं

प्रत्यादेशाद अपि च मधुनो विस्मृतभ्रूविलासम

त्वय्य आसन्ने नयनम उपरिस्पन्दि शङ्के मृगाक्ष्या

मीनक्षोभाच चलकुवलयश्रीतुलाम एष्यतीति॥२.३४॥

 

कज्जल बिना तेज से हीन जिनकी

अलकजाल से रूद्धगति नैनवाली

सुरापान के त्याग ने कर दिये हो

जिन्हें लास्य भ्रूभंग से पूर्ण खाली

पहुंच मृगनयनि के निकट मौन गति से

चपल कमल की भांति मै मानता हॅू

लखोगे फडकता हुआ नेत्र बांया

उसका वहां तुम मै अनुमानता हॅू

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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