श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत हैं विशेष भावप्रवण “संतोष के दोहे”। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 79 ☆
☆ संतोष के दोहे ☆
भाग सराहें आपने, आ गई वेक्सीन
कोरोना से जूझती, अब मत हों गमगीन
दुनिया में इज्जत बढ़ी, नाम हुआ चहुँ ओर
मोदी जी का ये जतन, मचा रहा है शोर
दो गज दूरी साथ रख,मुँह पर रखें मास्क
सेनिटाइज हाथ करें,नव समझकर टास्क
दवाई के साथ रखें,खूब कड़ाई आप
घर में रह कर कीजिये, नित भगवत का जाप
वेक्सीन लगवाइए, बिन डर बिन संकोच
तभी सुरक्षा आपकी, रखिये ऊँची सोच
अफवाहों से बच चलें, दें न उन पर ध्यान
मुश्किलों से डरें नहीं, चलिए सीना तान
बीमारी ना देखती, जाति धरम आधार
इसीलिए सब भाइयो, बदलो अब आचार
कोरोना के काल में, वेक्सीन वरदान
कोरोना भी डर रहा, सुन कर उसकी तान
सब मिलकर लगवाइए, कहता यह “संतोष”
फिर पछितावा होयगा, मत देना फिर दोष
© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
सर्वाधिकार सुरक्षित
ज्ञानमय दोहे।