हेमन्त बावनकर
☆ सकारात्मक कविता – पॉज़िटिव रिपोर्ट – नेगेटिव रिपोर्ट ! ☆ हेमन्त बावनकर ☆
जीवन में अब तक
सीखा भी यही था
और
बच्चों को सिखाया भी यही था –
“सकारात्मकता का पाठ”
सकारात्मकता – पोजिटिविटी !
प्रोटोकॉल !
किन्तु,
इन सबको मानने के बाद भी
ताश के पत्तों के महल की मानिंद
काँप उठती है ज़िंदगी
जब
आपकी जिंदगी के
प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए
आपकी रिपोर्ट आती है
‘कोरोना पॉज़िटिव’
आप हो जाते हैं
किंकर्तव्यमूढ़
सब कुछ लगने लगता है
भयावह
जैसे बस
यहीं तक था सफर!
सबसे अधिक डराता है
चौथा स्तम्भ
चीख चीख कर
किसी हॉरर फिल्म की तरह
और
हम ढूँढने लगते हैं
उस भयावह भीड़ में
ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और शमशान में
पंक्तिबद्ध अपने अस्तित्व को।
डरिए मत
यह समय भी निकल जाएगा।
जंगल की आग में जले ठूंठ में भी
अंकुरित होती हैं पत्तियाँ
उन्हें जीवित रखिए।
जो सकारात्मक बातें
बच्चों को अब तक सिखाते आए थे
अब उसी शिक्षा को
स्वयं में जीवित रखिए।
अनिष्ट की मत सोचिए
यदि
खबर न बता कर आती तो?
“होइहि सोई जो राम रचि राखा”।
अपने कमरे और मन की
खिड़की खोलिए
एक लंबी साँस लीजिये
संयमित चिकित्सा लीजिये
आइसोलेशन में
जीवन के उजले पक्ष में
आत्मसाक्षात्कार करिए
सकारात्मक योजनाएँ बनाइये
कमरे के बाहर
बेहद खूबसूरत कायनात
और
आपके अपने ही
आपकी राह देख रहे हैं।
देखना
अगली रिपोर्ट जरूर
“नेगेटिव” ही आएगी।
# स्वयं पर विश्वास रखिये – सकारात्मक रहिये #
© हेमन्त बावनकर, पुणे
26 अप्रैल 2021
अति सुंदर, भावपूर्ण अभिव्यक्ति
आभार बंधु
ज़बरदस्त सकारात्मक कविता। जले ठूँठ में भी आती हैं हरी पत्तियाँ।..वाह!
आभार आदरणीय