श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है कोविड की पीड़ा से निकलकर आई एक सकारात्मक कविता आभार कोविड!)
☆ सकारात्मक कविता ☆ आभार कोविड ! ☆
बच्चे रोने नहीं दे रहे हैं
इन दिनों,
भल भला के
दहाड़ मार के
रोना चाहता हूं,
कोविड का कमाल
कि समुद्र से
सोंधी-सोंधी
फूली रोटी भेज रही है मां,
अस्पताल से लौटने पर,
नीम की ताजी हवा
आ आकर जगा जाती है,
बादल ढोल मंजीरा
लेकर घर के सामने
डेरा डाले हुए हैं,
मंदाकिनी और अलकनंदा
उछाल मारकर
घुस आयी है सांसों
के बसेरे में,
गिलहरी दौड दौड़
सिखा रही है
पुल बनाने की तकनीक,
दुआओं का समंदर
इतना उमड़ आया है
इन दिनों,
प्रणाम करता हूं
उन प्रार्थनाओं से
उठे पवित्र हाथों को
# क़ोविड से जीतने की खुशी में #
© जय प्रकाश पाण्डेय
११.०५.२०२१
416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
भाई, सुंदर कविता