श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है महामारी कोरोना से ग्रसित होने के पश्चात मनोभावों पर आधारित एक अविस्मरणीय भावप्रवण कविता “# हे राही ! तू क्यों है उदास #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 30 ☆

☆ # हे राही ! तू क्यों है उदास # ☆ 

हे राही ! तू क्यों है उदास ?

तेरी क्यों रूक रही है सांस ?

यह जीवन चक्र है

फिर भी तू क्यों है निराश ?

 

इन पीड़ित लोगों के बारे में सोच

इनके बहते आंसुओं को पोछ

इनका सबकुछ महामारी में लुट गया

अपनों का साथ राह में छूट गया

भरा-पूरा परिवार वीरान  हो गया

नियति के आगे मजबूर इन्सान हो गया

तू इनके मन में जगा जीवन की आस

हे राही ! तू क्यों है उदास ?

 

पहले पड़ी महामारी की मार

दूजे में छूट गए रोजगार

भटक रहे हैं भूखे-प्यासे

उखड़ ना जाए इनकी सांसे

मदद क लिए उठें है क ई हाथ

सभी संगठन दे रहें हैं साथ

तू भी इनमें शामिल होकर

कर अलग कुछ खास

हे राही ! तू क्यों है उदास

 

दु:ख दर्द में जीना सीखो

जहर मिले तो पीना सीखो

खुद हंसो, पीड़ितों को हंसाओ

उनके जीवन में खुशियां लाओ

खुशियों से बढ़ेगी इम्यूनिटी

जीवन में आयेगी पाॅजिटिवीटि

तू आदर्श बन,

दूर कर महामारी का त्रास

हे राही! तू क्यों है उदास 

© श्याम खापर्डे 

04/06/2021

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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