श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है आपकी एक सकारात्मक कविता ‘दरअसल ’)
☆ सकारात्मक कविता ☆ दरअसल ☆
दरअसल
कुछ नहीं कहना ,
अभी गर्मी
बहुत अधिक है,
कोरोना अभी
लाशें खरीद रहा है,
मन है पर बहुत
उचाट सा रहता है,
दरअसल
ये है कुछ कहो,
पर तुम ध्यान भी
नहीं देते इस उहापोह में,
दिक्कत ये हो गई है
कि सब कुछ बदल रहा है,
ब्याज भरे संबंधों का
हिसाब-किताब हो रहा है,
दरअसल
कोविड ने
दुरस्ती का ठेका लिया है
© जय प्रकाश पाण्डेय
416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
भाई अच्छा प्रयास