॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग # 1 (41-45) ॥ ☆
पंक्ति बद्ध बिखरी हुई तोरण सी अभिराम
सार के कल नाद सुन आनन उठा कलाम ॥ 41॥
अश्व खुरों की धूल से भरें अलक औं बाल
लखत पवन प्रवाह से काम सिद्धि तत्काल ॥ 42॥
वीचि विताहित जलज सी सर में व्याप्त सुवास
अपनी श्वासं सदृश मधुर पीकर शीतल वात ॥ 43॥
यूप चिन्ह लख ग्राम में सकल मनोरथ जान
अर्ध्य सहज स्वीकार कर सबको आशिष मान ॥ 44॥
ले नवनीत उपस्थित वयोवृद्ध गोपाल
से परिचय पा मार्ग का पूँछ ताँछ कर हाल ॥ 45॥
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈