श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(वरिष्ठ साहित्यकार एवं अग्रज श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण कविता   ‘मानसून की पहली बूंदे….….। )

☆  तन्मय साहित्य  # 94 ☆

 ☆ मानसून की पहली बूंदे…. ☆

मानसून की पहली बूंदे

धरती पर आई

महकी सोंधी खुशबू

खुशियाँ जन मन में छाई।

 

बड़े दिनों के बाद

सुखद शीतल झोंके आए

पशु पक्षी वनचर विभोर

मन ही मन हरसाये,

बजी बांसुरी ग्वाले की

बछड़े ने हाँक लगाई।

 

ताल तलैया पनघट

सरिताओं के पेट भरे

पावस की बौछारें

प्रेमी जनों के ताप हरे,

गाँव गली पगडंडी में

बूंदों ने धूम मचाई।

 

उम्मीदों के बीज

चले बोने किसान खेतों में

पुलकित है नव युगल

प्रीत की बातें संकेतों में,

कुक उठी कोकिला

गूँजने लगे गीत अमराई।

मानसून की पहली बूंदें

धरती पर आई

महकी सुध खुशबू

जन-जन में छाई।

 

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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Shyam Khaparde

सुंदर रचना