श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य”  के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं।  आज प्रस्तुत है  “लघुकथा  – काहे की चिंता।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 85 ☆

☆ लघुकथा – काहे की चिंता ☆ 

पति सुबह 5:00 बजे उठा। पानी भरा। कमरा साफ किया। पानी गर्म किया। चाय बनाई। पत्नी को उठाया।बिस्तर व्यवस्थित रखा। झाड़ू निकाल कर कंप्यूटर पर कहानी संशोधन करने बैठ गया।

तभी पत्नी ने आवाज दी, ” हरी मिर्ची नहीं है।”

“अभी मंगाता हूं,” कहकर पति ने किसी को फोन किया, ” अब प्लीज 30-35 मिनट मुझे डिस्टर्ब मत करना।”

“जी,” कहकर पत्नी काम करने लगी। उसने मोबाइल पर गाना लगा दिया था, ” बैठ मेरे पास तुझे देखता रहूं।”

“इसकी आवाज थोड़ी कम कर दो।”

“जी”, पत्नी तुनक कर आवाज कम करते हुए बोली, ” इस सौतन के पीछे मुझे कुछ करने और सुनने भी नहीं देते हैं । फिर 10 बजते ही कहेंगे- भूख लग रही है।”

” क्या कहा भाग्यवान?”

” कुछ नहीं, ” पत्नी बड़बड़ाई, ” मैं घरबाहर दोनों जगह खटती रहती हूं। यूं नहीं कि घर के काम में मेरी सहायता कर दें। बस इस बैरी कंप्यूटर से चिपके रहेंगे।”

यह सुनकर पति का हाथ कंप्यूटर के कीबोर्ड से उठकर माथे पर चला गया।

 

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

25-12-20

पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) म प्र
ईमेल  – [email protected]

मोबाइल – 9424079675

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Shyam Khaparde

बढ़िया रचना

Omprakash Kshatriya

आपको रचना पसंद आई मेरी मेहनत सार्थक हो गई। आपका हार्दिक आभार।