श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”


(आज  “साप्ताहिक स्तम्भ -आत्मानंद  साहित्य “ में प्रस्तुत है  श्री सूबेदार पाण्डेय जी की  देशप्रेम से ओतप्रोत भोजपुरी भाषा में भावपूर्ण रचना  “मातृभूमि रक्षा खातिर ….। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य# 84 ☆ भोजपुरी गीत – मातृभूमि रक्षा खातिर …. ☆

चंद शेर–

जरवले होई उ देहियां के बारूद गोला से।

अपने छाती पर गोली उ खिले होई।।

दुश्मन के खून से होली खेलले होई उस सीमा पे।

 वतन परस्ती क रीत निभवले होई।।

 अपने हिम्मत से मरले होई उ दुश्मन के सरहद पे।

अपने माई क लाल कहवले होई।।

उस पहिरले होई तिरंगा कफ़न हमनी  खातिर।

आपन पूंजी देशवा पे लुटवले होई।।

☆ मातृभूमि रक्षा खातिर …. ☆

ऊ मातृभूमि रक्षा खातिर,

पलटन में जाइ भयल भरती।

माई क शान रखै खातिर,

पलटन में जाइ भयल भरती।

उस आयल रहै घरे छुट्टी,

परिवार से अपने मिलै खातिर।

माई के गोदि में सिर रखि के,

बचवा बनि तनिक सोवै खातिर।

बाऊ कै अपने बनै सहारा,

बहिना कै मान करै खातिर।।1।।

 

एक दुपहरिया मिलल खबर,

चढि आयल हौ दुश्मन सीमा पर।

सुनतै बेचैन हो गयल उ,

कइलस तइयारी जाये कै।

 देश प्रेम के ज्वाला में,

 छाती ओकर जरै लगल।

सीमा पर कइलस घमासान,

दुश्मन कै खेमा उखडि गयल।2।।

 

भूलि गयल ऊ बाग बगइचा,

खेत खलिहवां  भूलि गयल।

भूलि गयल मेहरी के पिरितिया,

माई कै ममता भूलि गयल।

भूलि गयल  भाई कै नेहिया,

बहिनां के राखी भूलि गयल।

भूरि गयल बचवन कै चेहरा,

संगी साथी भूलि गयल।

माई कै शान रखै खातिर,

अपनौ दुख सुखवा भूलि गयल।।3।।

 

जब पहुचल उस सीमा पे,

तब एकै बतिया याद रहल।

माई के दूध कै कर्ज बा केतना,

एतनै बतिया याद रहल।

हम सब दीवाली रहे मनावत,

उस सीमा पे होली खेलत बा।

हमनी के सुख चैन बदे,

सीना पर गोली झेलत बा।

दुश्मन से लोहा लेत लेत,

गोली खिला उ सीनवां पर।

अपने त मरल अकेलै उ,

दस बीस के मरलस सीमवां पे।

कमर तोड़ दिहलस दुश्मन कै,

ओकर दांत भयल खट्टा।

अपने माई के रहै सपूत,

ना शान में लगै दिहेस बट्टा।।4।।

 

उस आपन सब कुछ लुटा दिहेन,

अध्याय नया इक लिख गइलेन।

अपने स्वर्ग सिधरलेन उ,

इ वतन हवाले कर गइलन।

उस आपन करै समरपन,

जवनें रहिया चलि के गयल।

ओहि माटी से तिलक करीं जा,

जहवां ओकर पांव पड़ल।

जवनें माटी में जनम लिहेसि उ,

उस मांटी  भी धन्य हो गइल।

जेहि जगह पे चिता जरल ओकर,

काबा काशी उ जगह हो गइल।

ओकरा याद में मिलि हम सब,

आवा इक दिया जराई जा।

हम हमें मिलि के ओकरे उपरा,

आपन नेह लुटाई जा।‌।5।।

 

© सूबेदार  पांडेय “आत्मानंद”

संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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