श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है रक्षाबंधन पर्व पर विशेष कविता “# रेशम के धागे #”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 41 ☆
☆ # रेशम के धागे # ☆
कितने पवित्र है
यह रेशम के धागे
जिनकी बहना है
उनके तो है भाग जागे
गर बहन नहीं हो
तो जीवन है सूना
गर भाई नही हो
तो जीवन में दर्द है दूना
भाई-बहन सा प्यार
जग में मिलना है दुश्वार
यह याद दिलाने आता है
राखी का त्योहार
इक बहना ने,
आरती उतारी, टिका लगाया
भाई के कलाइपे राखी बांधी
भाई ने रख्खा सरपे हाथ
बोला-
तुझपे ना आए कोई आंधी
जीवन भर तेरी
रक्षा करूंगा
पूरी तेरी मै हर इच्छा करूंगा
तू जरूरत में आवाज़ तो देना
भैया कहके मुझे बुलाना
आ जावूंगा मैं दौड़के
सारे काम काज छोड़के
तू तो है दुनिया में न्यारी
मां-बाबा और हम
सबकी प्यारी
वो भाई को
ऐसे लिपट गई
मानो सारी दुनिया
वहीं सिमट गई
भूल गई वो दु:ख दर्द सारे
जैसे मिल गये उसे चांद-सितारे
राखी,
भाई बहन के स्नेह का
अनमोल है बंधन
मै शत् शत् करता हूं
इस पवित्र रिश्ते को वंदन
© श्याम खापर्डे
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