डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 97 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
शिव का पूजन कर रही,
मने तीज त्योहार।
लंबी उम्र का मांगती,
पति रूपी उपहार।।
गौरा अब ये कह रही,
क्या है मेरे भाग।
अब तो मुझको दीजिए,
मेरा अमर सुहाग।।
गोरी मुझसे कह रही,
करु सोलह श्रृंगार।
प्यार समर्पण शक्ति से,
मने तीज त्योहार।।
गौरी शिव की वंदना,
करती है हर बार।
ईप्सा अटल सुहाग की,
करे सुहागन नार।।
झोली में सुहागन की
देना प्रिय का प्यार।
उनके है आशीष से ,
मिले खुशियां अपार।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
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हर बार की तरह शानदार