डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपके अप्रतिम कालजयी दोहे।)
लेखनी सुमित्र की #59 – दोहे
संताने हैं नयन की, रखना अश्रु संभाल ।
पढ़ना चाहो तो पढ़ो, भूत, भविष्यत काल।।
किसने कब कैसे किया, युद्ध का आव्हान।
युद्ध कथा का मूल है, आशु का अपमान।।
आंसू टपका आंख से, कहे हृदय का हाल ।
समझदार तो है वही, जो समझे तत्काल ।
आंसू बहे प्रसाद के, रहे निराला मौन ।
बच्चन के मन की व्यथा, बांच सका है कौन ।
तुलसी सूर कबीर के, अश्रु बने इतिहास।
कौन कहे मीरा कथा, आंसू का उपवास।।
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
बहुत ही सुन्दर दोहे सर, बधाई
बेहतरीन अभिव्यक्ति