श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ ” मनोज साहित्य“ में आज प्रस्तुत है सजल “कोई रहा नहीं हमदम है…”। अब आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 3 – सजल – कोई रहा नहीं हमदम है … ☆ 

सजल

समांत-अम

पदांत-है

मात्राभार- १६

 

रोती आँखें सबको गम है।

लूट रहे उनमें दमखम है।।

 

अट्टहास वायरस है करता,

सबकी आँखों में डर-सम है।

 

आक्सीजन की नहीं व्यवस्था,

देख सिलेंडर में अब बम है।

 

धूम मची है नक्कालों की,

उखड़ी साँसें निकला दम है।

 

बन सौदागर खड़े हुए अब,

कोई रहा नहीं हमदम है ।

 

लाशों का अंबार लग रहा,

आँख हो रही सबकी नम है ।1

 

लोग अधिक हैं लगे पंक्ति में ।

वैक्सीन की डोजें कम है।

 

©  मनोज कुमार शुक्ल ” मनोज “

18 मई 2021

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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