आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित भावप्रवण ‘हाइकु सलिला’। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 62 ☆
☆ हाइकु सलिला ☆
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हाइकु करे
शब्द-शब्द जीवंत
छवि भी दिखे।
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सलिल धार
निर्मल निनादित
हरे थकान।
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मेघ गरजा
टप टप मृदंग
बजने लगा।
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किया प्रयास
शाबाशी इसरो को
न हो हताश
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जब भी लिखो
हमेशा अपना हो
अलग दिखो।
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© आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
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