डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपके अप्रतिम कालजयी दोहे।)
? जीवेम शरदः शतम ?
? वरिष्ठतम साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार सुमित्र जी को उनके 83वें जन्मदिवस पर सादर प्रणाम एवं हार्दिक शुभकामनाएं ?
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की #61 – दोहे
शरतचंद्र की नायिका, पतिता, पुण्य पवित्र ।
आँसू जैसी निर्मला, निर्मला चारू चरित्र।।
कभी-कभी तो है दिया, आँसू ने आनंद ।
धर्म सभा में हों, खड़े सहज ‘विवेकानंद’।।
आंखों में आंसू भरे, होरी खड़ा हताश ।
है धनिया के हृदय में, गोवर्धन की आस।।
देवदास आँसू पिए, पारो करें ‘उपास’ ।
चंद्रमुखी की जिंदगी, किसकी करें तलाश।।
तेग बहादुर त्याग में, करें राष्ट्र अभिमान ।
आँसू सूखे आँख में, किए पुत्र बलिदान।।
बाउल गीतों ने दिया, मन को यों झकझोर ।
आँखें रोई रात भर, अश्रु निवेदित भोर।।
आँसू की अठखेलियां, हमने देखी खूब ।
ऊब पत्थरों पर रही, अपनेपन की दूब।।
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
भावपूर्ण दोहे बधाई सर
बेहतरीन अभिव्यक्ति