श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी नवरात्रि पर्व पर विशेष कविता “# दीपोत्सव मनाएं #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 52 ☆

☆ # दीपोत्सव मनाएं # ☆ 

जगमग जगमग दीप जले हैं

दीपों की सजी है माला

दुल्हन सी सजी है धरती

चारों तरफ है उजाला

 

आकाश में चमकते तारें

ओढ़नी में सजे जैसे सितारे

अमावस्या की काली रात में

बिखरे हैं रंगीन नजारें

 

चारों तरफ है बेरोजगारी

जनता है त्रस्त महंगाई की मारी

जीना है दूभर गरीब का

कौन दूर करें लाचारी

 

महामारी में सबकुछ लुट गया हो

परिवार राह में छूट गया हो

जनम जनम के जो थे साथी

उनसें बंधन टूट गया हो

 

कैसे जिएं वो मन को मारें

व्यर्थ है उसके लिए नजारें

कैसा दीया और कैसी बाती

जख्म है ताजा

लहू की बहती हैं धारें

 

आओ सब कुछ भूल जाएँ 

घर घर में हम खुशियां लाएं 

कोई ना हो किस्मत का मारा

दीप जलायें, दीपोत्सव मनाएं  

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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