॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #8 (26-30) ॥ ☆
श्राद्धकर्म अज ने किये पितृभक्ति के भाव
योगी तो रखते नहीं पिण्डदान का चाव ॥ 26॥
पितृमरण के शोक को, वेदपाठ से भूल
धनुर्वीर अज ने किया हर नृप को निर्मूल ॥ 27॥
धरा इन्दु दोनों ने ही पा पति अज सा भूप
सफल हुई दे रत्न और वीर महान सपूत ॥ 28॥
इंदुपुत्र थे ख्यात नृप दशरथ जिनका नाम
जिनके आगे थे हुये रावणरिपु श्री राम ॥ 29॥
अध्ययन यजन औं जनन से होकर अज ऋणमुक्त
पितृ – देव – ऋषि कृपा से भासे ज्यों रवि मुक्त ॥ 30॥
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈