॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #9 (6-10) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग – 9
धन और जल दे असतदलन से, कुबेर वरूण वयम विधि निभाई
औं कांति से अरूण अनुयायी रवि सी दशरथ ने जगमें सुख्याति पाई ॥ 6॥
उत्कर्षशाली महीप दशरथ को द्यूत – आखेट – सुरा न भायी
नव यौवना नारियों में भी उसने कहीं कभी भी रूचि न दिखायी ॥ 7॥
कभी स्वशासन में इंद्र से भी न बोली उसने सहम के वाणी
न हास में भी असत्य बोला, न शत्रुओ से कठोर वाणी ॥ 8॥
नृपों ने उस रधुकुल के धुरंधर से विकास और नाश भी, दोनों पाये
आज्ञानुयायी का मित्र था वह कठोरतम द्वेष जो ले के आये ॥ 9॥
उदधि परिवृता धरा को दशरथ ने धनुष ले सिर्फ था रथ से जीता
गज अश्व सेना ने तो सुनाई सबों को उनकी विजय की गीता ॥ 10॥
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈