श्री प्रभाशंकर उपाध्याय
(श्री प्रभाशंकर उपाध्याय जी व्यंग्य विधा के सशक्त हस्ताक्षर हैं। हम श्री प्रभाशंकर उपाध्याय जी के हृदय से आभारी हैं जिन्होने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के साथ अपनी रचनाओं को साझा करने के हमारे आग्रह को स्वीकार किया। आप कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। आपकी विशिष्ट साहित्यिक सेवाओं पर राजस्थान साहित्य अकादमी का कन्हैयालाल सहल पुरस्कार प्रदत्त।
आज प्रस्तुत है समाज को आईना दिखाती हृदय को झकझोर देने वाली एक विचारणीय कथा ‘कॉवर्ट इनसेस्ट’।)
☆ कथा कहानी ☆ कॉवर्ट इनसेस्ट ☆
एक कमरा। कमरे की खिड़कियां बंद और पर्दे खिंचे हुए। एक मेज पर दो मोमबत्तियां जल रही हैं। तीन युवक तथा एक युवती मेज के चारों ओर चार कुर्सियों पर बैठे हैं। मेज पर एक सफेद ड्राइंग शीट बिछी है। शीट पर आंग्ल वर्णमाला के सभी अक्षर बड़े आकार में अंकित हैं। उस चार्ट के ऊपरी सिरों पर एक तरफ ‘यस’ और दूसरी ओर ‘नो’ लिखा है।
उन युवकों से एक युवक कुर्सी छोड़कर उठ गया। उसके एक हाथ में एक छोटी कटोरी, एक रूपए का एक सिक्का, दूसरे हाथ में एक जलती हुई मोमबत्ती तथा एक अगरबत्ती है। उन्हें लेकर वह कमरे की छत के एक किनारे पर जाकर, मोमबत्ती को मुंडेर पर खड़ा करता है। कटोरी में सिक्का डालकर, सुलगती हुई अगरबत्ती का धुआं कटोरी में घुमाते हुए बुदबुदाता है, ‘‘ओ…इन्नोसेंट सोल! प्लीज कम…।’’ वह, तकरीबन तीन मिनट तक उस वाक्य को दोहराता रहता है। सहसा, मोमबत्ती की लौ लहराने लगती है मानों वायु का तीव्र संचरण हो रहा हो जबकि वस्तुस्थिति में वायु का प्रवाह अति मंद है।
अचानक युवक का बुदबुदाना रूक जाता है। वह चारों वस्तुओं को लेकर कमरे में उतर आता है। मोमबत्ती और अगरबत्ती को टेबल पर लगाकर, कटोरी को ड्राइंगशीट पर उल्टी रख देता है और अपनी एक अंगुली उस पर रख देता है। यह देख, तीनों जने अपनी तर्जनी कटोरी पर रख देते हैं। अब, आव्हानकर्त्ता प्रश्न करता है, ‘‘ए निर्दोष आत्मा! क्या तुम हमारे सवालों का उत्तर देने को तैयार हो?’’ कटोरी सरक कर ‘यस’ पर आ जाती है। वह युवक पूछता है, ‘‘क्या तुम कल होने जा रही हमारी परीक्षा के प्रश्नों के बारे में बता दोगी?’’
कटोरी पहले ‘नो’ की ओर सकरती है फिर ‘यस’ पर लौट आती है। चारों के चेहरे खिल उठते हैं। दूसरा युवक उत्साह में आकर कहता है, ‘‘लेट, टेल द क्वेश्चन्स।’’ कटोरी वर्णमाला के एक एक अक्षर के ऊपर से गुजरती है और वाक्य बनता है, ‘‘आई हेट यू।’’ युवक का चेहरा उतर जाता है। अब, लड़की बोलती है, ‘‘प्लीज, बता दीजिए…।’’ कटोरी फिर से अक्षरों पर घूमती है- ‘‘आई लव यू।’’ युवती पानी पानी हो जाती है। उसे लड़कों की अंगुलियों पर संदेह होने लगता है।
आव्हानकर्त्ता युवक, ‘‘लगता है कोई बेड स्प्रिट आ गयी है।’’ वह छत पर जाकर, उस आत्मा को गुडबॉय कर, पुनः पहले वाली प्रक्रिया दोहराने लगता है। चार मिनट बाद वह फिर से टेबल पर है। फिर से प्रश्न किए जा रहे है किन्तु कटोरी कभी यस पर और कभी नो पर जा रही है। लड़की इसे साथी लड़कों की शरारत समझ रही है। उसका संदेह गहराता जा रहा है। एकाएक, कटोरी चार्ट के अक्षरों पर घूमने लगती है और शब्द बनते हैं- ‘कार्वट इनसेस्ट’। युवती सिहरकर अपनी अंगुली हटा लेती है। तभी लड़कों की अंगुलियों के नीचे से कटोरी छिटककर ड्रांइग शीट के मध्य में पहुचकर सीधी हो जाती है। दोनों मोमबत्तियां भी बुझ गयीं और कमरे में अंधेरा व्याप्त हो गया किन्तु बुझी हुई मोमबत्ती की बत्तियों की मंद होती ललाई से उठती धुंए की लकीरें का कटोरी की ओर जाने का अभास उन चारों को हो रहा है। शनैः शनैः कटोरी के इर्द-गिर्द एक प्रकाशवृत बन गया है और वहां एक छायाकृति उभर आयी- तीन वर्ष की एक बालिका। क्षत-विक्षत शरीर। मिट्टी के एक ढेर पर बैठी, मुट्ठी भर भर कर मिट्टी फांके जा रही है। *
पांच पल के बाद दृश्य परिवर्तित हो जाता है और वहां एक दूसरी आकृति उभरती है। अब, एक किशोरी का अक्स है। शरीर पर अधफटा कुर्त्ता है किन्तु सलवार नदारद है। चेहरा झुलसा हुआ। सामने आग जल रही है और वह लपलपाती हुई ज्वाला में अपने खुले मुंह को डाल रही है मानों उस आग को पी लेना चाहती हो।*
कुछ देर बाद फिर से परिवर्तन हुआ- अब, एक अधेड़ औरत की छाया है। ब्लॉउज रहित श्वेत वसन में अध लिपटी देह। उसकी साड़ी तथा केश यूं फड़फड़ा रहे हैं मानों सामने से प्रचंड पवन प्रवाहित हो रही हो। वह स्त्री अधलेटी अवस्था में इस प्रकार मुख को खोले हुए थी कि सम्पूर्ण वायु को अपने शरीर में समाहित कर लेना चाहती हो।* कुछ ही पलों बाद चौथी छवि कटोरी के ऊपर उभरती है। एक कृशकाय वृद्धा चित पड़ी हुई अपनी छाती और पेट को पीट पीट कर हाय…पूतो…हाय…पूतो करती जा रही है।*
सहसा, तीव्र धमाके की ध्वनि हुई जैसे कमरे में कोई भारी वस्तु गिर गयी हो। भयाक्रांत युवकों में से एक ने मोबाइल की टॉर्च जलायी। युवती कुर्सी से फर्श पर गिरी हुई थी। उसके झाग भरे मुख से शब्द प्रस्फुटित हो रहे थे- ‘‘कॉर्वट इनसेस्ट…कॉर्वट इनसेस्ट…।’’ *
*पाद टिप्पणी:- कुटुम्बीय व्यभिचार- हवस की शिकार पांच छवि 1. तीन वर्षीय भतीजी। 2. एक बहन। 3. एक विधवा। 4. एक दादी 5. बाल्यावस्था में कुत्सित छेड़छाड़ की स्मृतियां ताजा हो जाने से सुधबुध खोई युवती।
© प्रभाशंकर उपाध्याय
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हृदय को झकझोरने वाली कथा