श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
संजय दृष्टि – सहोदर
एक ही पिता की
संतानों के
स्वभाव और
संकल्प में
ध्रुवीय अंतर
नयी बात नहीं है,
मेरी पीड़ा और
मेरी जिजीविषा भी
अपवाद नहीं हैं।
© संजय भारद्वाज
संजयउवाच@डाटामेल.भारत
एक ही माता-पिता की सहोदर संतान के स्वभाव एवं संकल्पगत भिन्नता को कोई नकार नहीं सकता रचनाकार की पीड़ा और जिजीविषा भी अपवाद नहीं है –
ईमानदार अभिव्यक्ति के लिए अभिवादन…