॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (6-10) ॥ ☆
सर्गः-12
प्रथम, राम चौदह बरस वन में करें निवास।
भरत बनें राजा, द्वितीय जिनसे हुआ विनाश।।6।।
आज्ञा करने राज्य की, लगी राम को भार।
वन जाने की बात थी उन्हें सहज स्वीकार।।7।।
वस्त्राभूषण राजसी या वल्कल परिधान।
चकित थे सब यह देख, थे राम को एक समान।।8।।
पितृ आज्ञ को मान कर दशरथ वचन प्रमाण।
पाया सीता, लखन सह, वन जा उच्च स्थान।।9।।
याद आया दशरथ को भी श्रवण-मरण संयोग।
तजे शाप वश प्राण निज पाकर पुत्र-वियोग।।10।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈