श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आज प्रस्तुत है आपकी वसंत पंचमी पर्व पर एक विशेष रचना ।।शरद ऋतु का अंत।।बसंत।। )

☆ कविता ☆ वसंत पंचमी विशेष – ।।शरद ऋतु का अंत।।बसंत।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

।।विधा।। मुक्तक।।

[1]

शरद ऋतु तुमको प्रणाम, खुमारी सी छाने लगी है।
लगता ऋतुराज़ बसंत की, रुतअब कहींआने लगी है।।
माँ सरस्वती काआशीर्वाद, अब पाना है हम सबको।
मन पतंग भीअब खुशियों, के हिलोरे खाने लगी है।।

[2]
पत्ता पत्ता बूटा बूटा अब, खिला खिला सा तकता है।
धवल रश्मि किरणों सा, सूरज जैसे अब जगता है।।
मौसम चक्र में मन भावन, परिवर्तन अब आया जैसे।
ऋतुराज बसन्त काअवसर, अब आया सा लगता है।।

? बसंत पंचमी कीअनंत शुभ कामनाओं सहित ?

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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