डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपके अप्रतिम कालजयी दोहे।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 76 – दोहे
चटकाते चप्पल फिरे, फिर चुनाव की दौड़ ।
मंत्री पद पर बैठकर, जोड़े पांच करोड़।।
पावन गांधी नाम को, इतना किया खराब।
नाम रखा उस मार्ग का, बिकती जहां शराब।।
चादर गांधी नाम की, ओढ़े फिरें जनाब ।
मांसाहारी आचरण, जमके पियें शराब।।
सत्याग्रह के अर्थ को, क्या समझेंगे आप ।
भ्रष्ट आचरण युक्त हैं, सारे क्रियाकलाप।।
तख्तनशीनी हुई तो, हुए दूधिया आप ।
बदली सारी व्यवस्था, छिपा लिए सब पाप।।
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
7/2/22
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
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