॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (51-55) ॥ ☆
सर्गः-12
राक्षस-सेना-हार की, राम की विजय विशेष।
रावण को देने खबर रही शुर्पनखा शेष।।51।।
सेना का सुन नाश और शर्पूनखा-अपमान।
शिर पर राम के चरण का रावण को हुआ मान।।52।।
‘मारीच’ को मृग रूप दे, रच धोखे की चाल।
कर जटायु से युद्ध, किया सिया-हरण तत्काल।।53।।
चले सिया की खोज में राम-लखन दोऊ भाई।
पंख-रहित अधमरा पथ में लखा गीध जटायु।।54।।
अपहृत सीता के कहे उसने सारे भाव।
कथा समूची कह रहे थे जटायु के घाव।।55।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈