श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# बसंती बयार  #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 67 ☆

☆ # बसंती बयार # ☆ 

मैं कब इनकार करती हूँ 

हाँ ! मै तुमसे प्यार करती हूँ 

 

जब हम पहली बार मिले थे

मिलकर दूर किये

जो शिकवे गिले थे

भ्रमर बन जिन कलियों को

तुमने चूमा था

वो आज पुष्प बन

उपवन में खिले थे

तुम्हारी खुशबू से ही

मैं महकती हूं

हाँ ! मैं तुमसे प्यार करती हूँ 

 

पीले पीले फूलों की रूत आई है

संग संग “बसंत”की खुशी लाई है

मदनोत्सव में डूबें है नर-नारी

मदन को जगाती यह पुरवाई है

मैं भी हर घड़ी

तुम्हारा इंतज़ार करतीं हूँ 

हाँ ! मैं तुमसे प्यार करती हूँ 

 

“बसंत” प्रेमियों के लिए उपहार है

जिसके कण कण में बस

प्यार ही प्यार है

फूलों से सजे स्वागत द्वार है

सजनी के गले में बाहों का हार है

तुमसे मिलने को

मन ही मन मैं दहकती हूँ 

हाँ ! मै तुमसे प्यार करती हूँ 

 

इस रूत में,

कामदेव-रति पृथ्वी पर आते हैं

प्रेम प्रणय का संदेश साथ लाते हैं

तुम भी आ जाओ,

कहीं बीत ना जाए यह घड़ी

मैं प्रणय-विव्हल

तुमसे बार बार कहती हूँ 

हाँ ! मै तुमसे प्यार करती हूँ 

हाँ ! मै तुमसे प्यार करती हूँ /

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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