श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है बुंदेली गीत “मौन खड़ी है अब तरुणाई… ”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 22 – सजल – मौन खड़ी है अब तरुणाई … ☆
समांत- आई
पदांत- अपदांत
मात्राभार- 16
नैतिकता की हुई धुनाई।
मौन खड़ी है अब तरुणाई
गली मुहल्ले घूम रहे हैं,
जिनने सबकी नींद उड़ाई।
जीवन जीना नर्क बन गया,
शैतानों ने खोदी खाई।
सज्जनता दुबकी है बैठी,
दुर्जनता के बीच लड़ाई।
आताताई हैं मुट्ठी भर
बहुसंख्यक की नहीं सुनाई।
डंडा लिए खड़े रखवाले,
पता नहीं किसकी परछाई।
कष्टों की पहनाई माला,
नेताओं ने खूब निभाई ।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
11 जुलाई 2021
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