॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #13 (21 – 25) ॥ ☆
सर्गः-13
उत्सुक निकले हाथ से छूता धन जब आप।
लगता विद्युत वलय वह देता है चुपचाप।।21।।
वल्कल धरती तपस्वी बहुत दिनों के बाद।
फिर से जनस्थान में निर्भय अब आबाद।।22।।
यही तुम्हारी खोज में बढ़ते दुख के साथ।
पड़ा हुआ नूपुर मुझे मौन लगा था हाथ।।23।।
मौन लतायें यहीं प्रिय मुझे खड़ी समवेत।
झुकी डाल से हरण-पथ का तव की संकेत।।24।।
विकट परिस्थिति तुम्हारी से जब था अनजान।
इन हरिणों ने तब दिया दर्भ त्याग दिशिज्ञान।।25।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈