श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है होली के पर्व  के अवसर पर आपकी एक भावप्रवण कविता “# होली #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 73 ☆

☆ # होली # ☆ 

बहुत बुरा हुआ कि

कुछ नहीं हुआ

इस सादगी ने तो

दिल को है छुआ

रंगों में ढूंढते रहे

वो लाल रंग

वो मायूस हो गये के

क्यों कुछ नहीं हुआ ?

 

सब साजिशें फेल हो गई

रंगों की सब तरफ

रेल-पेल हो गई

रंगों से पुते चेहरे

मिलते हुए गले

लग रहा था जैसे

सबमें मेल हो गई

 

कुछ पे चढ़ा हुआ था

मदिरा का नशा

कुछ पे चढ़ा हुआ था

भांग का नशा

कुछ डुबे हुए थे

रंगों के हौद में

कुछ पे चढ़ा हुआ था

सियासत का नशा

 

यह रंगों का,

उमंगों का त्योहार है

शिकवे गिले भूलकर

क्षमा का त्योहार है

मीठा मीठा खाओ,

मीठा मीठा बोलो

सबको प्यार से गले लगाने का

त्योहार है /

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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