॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #15 (1 – 5) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -15
सीता का परित्याग कर राम रहे महिपाल।
सागर वेषिृत धरा का ही बस रखा खयाल।।1।।
लवणासुर से युद्ध में देख बड़े उत्पात।
यमुनातट वासी मुनि आये राम के पास।।2।।
रक्षक राजा राम थे, अतः था बड़ा सुयोग।
मुनि रक्षक बिन शांति से करते मंत्र-प्रयोग।।3।।
यज्ञ विध्न के नाश हित किया राम ने ध्यान।
धर्म सुरक्षा हेतु ही आते हैं भगवान।।4।।
लवणासुर की मृत्यु का प्रभु को दिया उपाय।
शूल-हीन हो बाण जब उस को मारा जाय।।5।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈