॥ श्री रघुवंशम् ॥

॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #15 (76 – 80) ॥ ☆

रघुवंश सर्ग : -15

 

शुद्ध ऋचा सावित्री ज्यों जाती रवि के पास।

त्यों मुनि सीता सहित सुत पहुँचे रामनिवास।।76।।

 

सजल नयन भगवा वसन शील-राशि, गुणखान।

शांत भाव लख सभी ने किया शुद्ध अनुमान।।77।।

 

जैसे खुद जाती है झुक पकी धान की बालि।

झुक गई आँखें सभी की दोषारोपन वाली।।78।।

 

मुनि बोले- ‘‘पुखी सिया सबका तुम पर नेह –

पति समक्ष जन-मन बसा, दूर करो संदेह’’।।79।।

 

सीता ने कर आचमन पावन जल ले हाथ।

जो ला शिष्यों ने दिया बोली सात्विक बात।।80।।

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments