श्रीमती उज्ज्वला केळकर

☆ कविता ☆ विश्व पुस्तक दिवस विशेष – किताबें – स़फदर हाशमी ☆ संकलनकर्ता – श्रीमती उज्ज्वला केळकर ☆

किताबे कुछ कहना चाहती है।

तुम्हारे पास रहना चाहती है।

किताबों में चिड़ियाँ चहचहाती है।

किताबों में खेतियाँ लहलहाती है।

किताबों में झरने गुनगुनाते है।

परियों के किस्से सुनाते है।

किताबों में राकट का राज है।

किताबों में सायन्स की आवाज है।

किताबों में कितना बड़ा संसार है।

किताबों में ज्ञान की भरमार है।

क्या तू इस संसार में

नहीं जाना चाहोगे?

किताबे कुछ कहना चाहती है।

तुम्हारे पास रहना चाहती है।

 

किताबे करती है बाते

बिते जमानों की

दुनिया की, इंसानों की,

आज की, कल की

एक एक पल की

खुशियों की, गमों की

फूलों की, बमों की

जीत की, हार की

प्यार की, मार की

क्या तुम नहीं सुनोंगे

इन किताबों की बाते?

 

 – स़फदर हाशमी

संकलनकर्ता – श्रीमती उज्ज्वला केळकर

मो. 9403310170,   e-id – [email protected]  

संपर्क -17 16/2 ‘गायत्री’ प्लॉट नं. 12, वसंत दादा साखर कामगारभावन के पास , सांगली 416416 महाराष्ट्र 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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