श्री सुरेश पटवा
(श्री सुरेश पटवा जी भारतीय स्टेट बैंक से सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों स्त्री-पुरुष “, गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं । प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकश।आज प्रस्तुत है आपकी ग़ज़ल “अभी ज़िंदगी में तूफ़ान और भी हैं…”।)
ग़ज़ल # 26 – “अभी ज़िंदगी में तूफ़ान और भी हैं…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’
माशूक के सिवा शैतान और भी हैं,
अभी ज़िंदगी में तूफ़ान और भी हैं।
हमसफ़र बन कर वो संग-संग चलें,
दिलों में हसरतें अभी और भी हैं।
हमने ज़हर भरे प्याले खूब भर पिए,
इश्किया पैमाने इधर उधर और भी हैं।
सैयाद की तैयारी में कसर नहीं,
उन की नज़रे इनायत और भी हैं।
मुहब्बत में उम्मीद नज़र नहीं आती,
आतिश कब्र में ठिकाने और भी हैं।
© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’
≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈