श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# बारिश की याद आती है #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 85 ☆
☆ # बारिश की याद आती है # ☆
भीषण गर्मी में
‘ लू ‘ के थपेड़े
भटक रहे सब
सर को ओढ़े
तपन, जब
तनको झुलसाती है
तब बारिश की याद आती है
दिनभर चिलचिलाती धूप है
पसीना बहाती खूब है
छांव भी,जब तरसाती है
तब बारिश की याद आती है
गर्मी में लगती कितनी प्यास है
शीतल जल की मनमे आस है
प्यास, जब पल पल तड़पाती है
तब बारिश की याद आती है
पशु-पक्षी तृष्णा के मारे
जल के लिए है व्याकुल सारे
कभी कभी जल बिन
जब परिंदों को मौत आती है
तब बारिश की याद आती है
प्यासी धरती तड़प रही है
प्रियत्तम से मिलने धड़क रही है
वर्षा की फुहारें,
जब धरती में समाती है
तब बारिश की याद आती है /
© श्याम खापर्डे
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