आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित सॉनेट ~ दाग )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 100 ☆ 

☆ सॉनेट ~ दाग ☆

पाक-साफ मतदान करेंगे

सोच गए मतदान केंद्र हम

सियासती आरोप सुनेंगे

सच्चाई का निकलेगा दम

 

कहाँ सोच पाए थे अँगुली

जो उठती अब तक औरों पर

रही हमेशा सबसे कहती

लौट कहेगी वही सिसककर

 

दागदार होकर लौटी मैं

कैसे उठूँ कहो औरों पर

दाग छुड़ाते जो विज्ञापन

छुड़ा न पाए दाग जतनकर

 

दागदार चुन दागदार को

शानदार कह दागदार को

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

८-७-२०२२

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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