डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  “भावना के दोहे …।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 140 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे … दिल ☆

दिल से दिल की दूरियां, दूर करो तुम आज।

प्रणय निवेदन कर रहे, बन जाओ सरताज।।

दिल कितना बेचैन है, देख लिया है आज।

मिलने को आतुर हुआ, रख ली उसने लाज।।

मजबूरी मेरी रही, आया नहीं मैं पास।

दिल तो तेरे पास है, बस इतनी थी आस।।

दिल तो तेरा हो गया, रखना उसका मान।

चोट न अब उसको लगे, कभी न हो अपमान।।

हमने बस अब कर दिया, सब कुछ तेरे नाम

दिल की सारी ख्वाहिशें, दिल है तेरे नाम।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments