श्री सदानंद आंबेकर
(श्री सदानंद आंबेकर जी की हिन्दी एवं मराठी साहित्य लेखन में विशेष अभिरुचि है। भारतीय स्टेट बैंक से स्व-सेवानिवृत्ति के पश्चात गायत्री तीर्थ शांतिकुंज, हरिद्वार के निर्मल गंगा जन अभियान के अंतर्गत गंगा स्वच्छता जन-जागरण हेतु गंगा तट पर 2013 से निरंतर योगदान के लिए आपका समर्पण स्तुत्य है। आज प्रस्तुत है श्री सदानंद जी की राजभाषा दिवस पर आधारित एक विशेष रचना “हिंदी दिवस”। इस अतिसुन्दर रचना के लिए श्री सदानंद जी की लेखनी को नमन । )
☆ राजभाषा दिवस विशेष – हिंदी दिवस ☆
दृश्य एक –
“साथियों, हिंदी को हमारी व्यवस्था ने राजभाषा बना दिया राष्ट्रभाषा नहीं, इसलिये आज भी देश भर में उसे दूसरा दर्जा मिला हुआ है। आज भी हम अंग्रेजी बोलकर अपने आप को शिक्षित एवं विकसित दिखाते हैं इसलिये हमें अपनी इस मानसिक गुलामी को तोड़ कर हिंदी को अपने दिल से स्वीकारना होगा।”
इस भाषण को सुनकर श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट बरसा दी। आज के हिंदी दिवस पर राजेश को विद्यालय में भाषण में पहला पुरस्कार दिया गया।
ख़ुशी से झूमता हुआ राजेश अपने घर पहुंचा और माँ पिताजी को अपनी उपलब्धि बताई जिससे वे भी खूब खुश हुये।
दृश्य दो –
राजेश ने शहर के नामांकित महाविद्यालय में स्नातक के प्रवेश के लिये साक्षात्कार दिया और वह असफल रहा, साक्षात्कार मंडल ने उससे कहा – सॉरी यंग बॉय, तुम्हारी इंग्लिश बड़ी पूअर है तुम यहाँ फेल हो जाओगे।
मुँह लटका कर राजेश घर आ गया।
दृश्य तीन –
एक छोटे से निजी महाविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक करके राजेश ने सरकारी बैंक में बाबू के पद के लिये आवेदन दिया। प्रबंधन मंडल से आमना सामना होने पर उसे दो टूक जवाब दिया गया – वेरी बैड मैन, तुम तो इंग्लिश में एकदम जीरो हो, हमारे सारे कस्टमर तो हाई क्लास हैं उनसे क्या हिंदी में बात करोगे ? वी आर सॉरी ।
मुंह लटका कर राजेश घर आ गया।
दृश्य चार –
अपने पिता की पहचान से एक बडे वकील के कार्यालय में निम्न श्रेणी लिपिक का काम कर रहे राजेश के लिये आज विवाह का प्रस्ताव आया है। घर भर के लोग लड़की देखने के लिये लड़की वालों के यहाँ गये। चाय पानी के बाद जब लड़का लड़की अकेले बात करने के लिये बैठे तो चार बातें करने के बाद ही लड़की ने तमक कर कहा – व्हॉट,….. यू डोंट स्पीक इंग्लिश एंड यूज हिंडी? मैं तो थ्रू आउट कांन्वेंट स्टूडेंट हूं, नो – नो- नो – सारी, नॉट पॉसिबल ।
मुंह लटका कर राजेश घर आ गया।
अंतिम दृश्य –
राजेश के कार्यालय में एक खादीधारी सज्जन आये और राजेश से मिले। वे बोले कि अगले हफ्ते हिंदी दिवस है, हमारे यहाँ तो किसी टीचर को हिंदी आती नहीं है इसलिए हम चाहते हैं कि आप हमारे कांन्वेंट स्कूल में स्टूडेंटस् को मोटिवेट करने के लिये हिंदी पर भाषण देने आयें। हम आपको इसके लिये कैश रिवार्ड भी देंगे।
यह सुनकर राजेश के मुख पर एक नई मुस्कान आ गई।
© सदानंद आंबेकर
भोपाल, मध्यप्रदेश
यथार्थ से परिचित कराती एक सुंदर रचना।
साधुवाद!