श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ 

(साहित्यकार श्रीमति योगिता चौरसिया जी की रचनाएँ प्रतिष्ठित समाचार पत्रों/पत्र पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में सतत प्रकाशित। कई साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित। राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय मंच / संस्थाओं से 150 से अधिक पुरस्कारों / सम्मानों से सम्मानित। साहित्य के साथ ही समाजसेवा में भी सेवारत। हम समय समय पर आपकी रचनाएँ अपने प्रबुद्ध पाठकों से साझा करते रहेंगे।)  

☆ कविता ☆ प्रेम भाव प्रार्थना ☆ श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ ☆

(विधा-राग छंद)

प्रेम भाव रख सभी चलो, सदा चलो ।

हिय सदा प्रमाण दें बढ़े चलो, गढ़े चलो ।।

कामना रखें हृदय सदैव प्रीत हो ।

दीप सा जला करें प्रकाश मीत हो ।।1!!

 

जिंदगी नवीन प्रार्थना प्रभाव हो ।

आज हो नहीं कुभाव प्रीत चाव हो ।।

राग द्वेष आज भूलना न घाव हो  ।

लग रहे तुणीर बंदगी सुझाव हो ।।2!!

 

रागनी सुभाल में विराज आज हो ।

सादगी सुभाव कामना सुकाज हो ।।

साधना प्रयास आज जो सुमाथ हो ।

जीतना सुजान हार रख न साथ हो ।।3!!

 

सत्य राह जीत बन सुभाल ज्ञान है ।

शूल जाल सब बिछा बना विधान है ।।

जाति भाव भेद तोड़ आज कामना ।

बोलना मिठास लें  सुझाव प्रार्थना ।।4!!

 

© श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ 

मंडला, मध्यप्रदेश 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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