श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी द्वारा आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को श्री मनोज जी की भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकते हैं।
मनोज साहित्य # 56 – मनोज के दोहे…. दीपावली ☆
दीपक
मानवता की ज्योत से, नव प्रकाश की पूर्ति।
सबके अन्तर्मन जगे, मंगल-दीपक-मूर्ति।।
वर्तिका
जले वर्तिका दीप की, फैलाती उजियार।
राह दिखाती जगत को, संकट से उद्धार।।
दीवाली
रात अमावस की रही, घिरा तमस चहुँ ओर।
राम अयोध्या आ गए, दीवाली की भोर।।
दीवाली की रात में, बैठा उल्लू पास ।
टुकुर टुकुर सब देखते, श्री लक्ष्मी का खास ।।
रजनी
रजनी का घूँघट उठा, दीपक आत्म विभोर।
जीवन साथी मिल गया , बना वही चितचोर।।
रंगोली
रंगोली द्वारे सजे, आए जब त्यौहार।
रंग बिरंगे पर्व सब, खुशियाँ भरें हजार।।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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