डॉ. ऋचा शर्मा

(डॉ. ऋचा शर्मा जी को लघुकथा रचना की विधा विरासत में  अवश्य मिली है  किन्तु ,उन्होंने इस विधा को पल्लवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । उनकी लघुकथाएं और उनके पात्र हमारे आस पास से ही लिए गए होते हैं , जिन्हें वे वास्तविकता के धरातल पर उतार देने की क्षमता रखती हैं। आप ई-अभिव्यक्ति में  प्रत्येक गुरुवार को उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण कविता  ‘रिश्ते ’

☆ कविता – रिश्ते — ☆ डॉ. ऋचा शर्मा ☆

रिश्तों को

हमने जो

परखना चाहा

खुद को

मंझधार में

खड़ा पाया |

 

दोस्तों को

जब हमने

परखना चाहा

आगे बढ़ा हाथ

सिमटता पाया |

 

दोस्ती का बढ़ाया हाथ,

समझ दोस्त अपना |

पैरों तले जमीन को,

खिसकते पाया |

©डॉ. ऋचा शर्मा

अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001

संपर्क – 122/1 अ, सुखकर्ता कॉलोनी, (रेलवे ब्रिज के पास) कायनेटिक चौक, अहमदनगर (महा.) – 414005

e-mail – [email protected]  मोबाईल – 09370288414.

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Mukta Mukta

अद्भुत् चिन्तन।कटु यथार्थ।